शाम को सारे बच्चों को भांगड़ा के बारे में बताया गया और सबने भांगड़ा किया। बच्चों ने भांगड़ा में इस्तेमाल की गयी चीज़ो के बारे में भी सीखा जैसे सप और ढोलकी।

पहले दिन सबने एक दूसरे को नमस्ते कहना सीखा। बच्चों ने सीखा की अलग अलग लोगों से अलग अलग तरीकों से नमस्ते कहा जाता है, जैसे अपने से बड़ों को नमस्ते जी कहा जाता है। बच्चों ने सबको बतया की वह भारत में कौन से राज्य से है। उन्होने दिशाओं के बारे में भी सीखा।
Day 1

कलाकारी में उन्होने रंग बिरंगे कागज़ों से नाव और हवाई जहाज़ बनाया । नाव और हवाई जहाज़ बनाने के बाद उन्हे पानी में तैराया और हवा में उड़ाया। बच्चों ने रंगों के नाम भी सीखे जैसे सफ़ेद, लाल, नीला, और सुनहरा।

दिन के आखिर में बच्चों को मज़ेदार खेल खिलाए गये जैसे लुडो और साँप सीडी । उन्हें बहुत मज़ा आया।
Day 2
दूसरे दिन बच्चों ने भारत में कितने राज्य हैं यह सीखा। फिर उन्हे बताया गया की भारत के कौन से दिशा में कौन से राज्य हैं , जैसे उत्तर में पंजाब है और पूरब में असम। उन्हें पता चला की उनका राज्य भारत के किस दिशा में है।


दूसरे दि न कलाकारी में बच्चों ने आकारों के नाम और थोड़े अक्षर सीखे जैसे गोलाकार और चोकौर । फिर उन्होनें उन आकरों में रंग भरे और त्रिकोण कागज़ों पर चिपकाये।
Day 3
तीसरे दिन हम सब ने भारत की भौगोलिक विशेषताओं के बारें में और उसके पड़ोसी देशों के बारें में सीखा जैसे हिमालय पर्वत और नेपाल। बच्चों ने अलग अलग भौगोलिक विशेषताओं के चित्र एक बडे़ भारत के नक्शे पर चिपकाए ताकी उन्हें पता चले की क्या किधर है।


कला की कक्षा में बच्चों ने पिछले दिन बनाए गये त्रिकोण कागज़ों को जोड़ कर कागज़ की एक रज़ाई बनाई। इस के साथ उन्होंने राजस्थानी रज़ाइओं और उनकी बनावट के बारे में भी सीखा।
शाम को बच्चों ने अध्यापकों के साथ मिल कर गाने गाए। उन्होने ढोल के बारे में सीखा और उनके लिये एक असली ढोल लाया भी गया। बच्चों ने कुछ गाने खुद अकेले भी गाए।
Day 4
भारत की भौगोलिक विशेषताओं के बारे में आज बच्चों ने कुछ खेल खेले ताकि उन्हे वे विशेषताएँ याद रहें। फिर बच्चों ने केरल, राजस्थान, और असम की कुछ खास चीजों के बारे में सीखा जैसे केरल की नावों की दौड़, राजस्थान के ऊंट, और असम का बीहु नृत्य।


कलाकारी में बच्चों ने राजस्थान में की गयी बांधनी कला के बारे में सीखा, जिस से प्रेरित होकर बच्चे अपनी टाई और डाई शर्ट्स बनाएँगे। बच्चों ने टाई और डाईसे संबंधित कुछ शब्द सीखे जैसे धोना, बांधना और डालना। फिर बच्चों ने अपनी अपनी शर्ट बांधनी।
आज बच्चों को भारतीय परिधान पहनने को कहा गया था। इस तरह शाम को बच्चों ने भारतीय परिधानों के बारे में सीखा। सारें अध्यापकों ने अलग अलग भा रतीय पोशाकें पहनी थी ताकि बच्चे देख सकें । फिर बच्चों और अध्यापकों का एक “fashion show” हुआ।
Day 5

शुक्रवार की शाम को मेला लगा था जिसमें माता-पिता भी आमंत्रित थे। मेले में तरह तरह कि चीज़ो का प्रदर्शन किया गया , जैसे राजस्थानी हाथी और सेहरा। मेले में खाने के लिये भी अनेक वस्तुएँ थी जैसे पानी पुरी। बच्चों ने उनकी शर्ट्स भी टाई-डाई करी, जिसे वे अपने घर गये। मेले में बच्चों ने खरीदारी करते समय प्रयोग किये जाने वाले वाक्य सीखे जैसे 'यह कितने का है?’ और ‘यह तो बहुत महँगा है!’, इत्यादि।





आज बच्चों पूरे जो भी सीखा था उसे दोहराया। बच्चों ने राज्यों के नाम, भाषाएं और दिशाएं दोहराई । फिर उन्होंने खेलों के ज़रीये भौगोलिक विशेषताओं को भी दोहराया।असम, राजस्थान, और केरल की खास बातें जैसे बीहू नृत्य भी दोहराया गया।
कलाकारी में आज बच्चों ने चित्रकली की तैयारी की। उन्होने तय किया वह किस भौगोलिक विशेषता का चित्रकली बनाएँगे और सोचा की क्या सामान लगेगा। बच्चों ने अपने दल के चित्रकली का एक शुरुवाती चित्र भी बनाया, जिसको देख कर वह अगले हफ़्ते चित्रकली बनाएँगे।
